सीमा का पाकिस्तानी सेना से संबंध Confirm... ATS, ISI Agent ?



seema haider isi agent


सीमा हैदर की असलियत धीरे धीरे अब सामने आ रही है। यूपी एटीएस ने लगातार दो दिनों तक सीमा से 16 घंटे की पूछताछ की और इस पूछताछ में सीमा ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है और इस खुलासे ने सीमा के पाकिस्तानी जासूस होने के संदेह को बढ़ा दिया है। सूत्रों के मुताबिक एटीएस की पूछताछ में सीमा हैदर ने बताया कि उसने भारतीय सेना के अधिकारियों को सोशल मीडिया पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। मंगलवार को हुई पूछताछ में सीमा ने बताया कि सचिन से पहले वो कई सारे भारतीय लड़कों के संपर्क में भी थी, जिसमें सबसे ज्यादा दिल्ली एनसीआर के लड़के शामिल थे।


सीमा हैदर से लगातार दो दिन 16 घंटे तक पूछताछ हुई है। कल रात 10:00 बजे उसे एटीएस ने पूछताछ करने के बाद एक अन गुप्त जगह पर उसे लेकर की गई है। सीमा हैदर ने सोशल मीडिया पर जिन जिन लड़कों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी, उसकी तफ्सील से जांच होगी। सीमा हैदर के पाकिस्तानी जासूस होने का शक इसलिए भी गहरा गया क्योंकि सीमा हैदर का पाकिस्तानी सेना से जूड होने की पुष्टि  हो गया है, जिसका वह इनकार करती रही। जानकारी के मुताबिक, सीमा हैदर का भाई आसिफ पाकिस्तानी सेना में सिपाही है और वह कराची में की तैनाती। सीमा हैदर के भाई आसिफ की तस्वीर भी सामने आई है। इस तस्वीर में आसिफ पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहने हुए है और उसकी वर्दी पर लगे नेमप्लेट पर आसिफ लिखा हुआ है। सीमा का सिर्फ भाई ही पाकिस्तानी फौज में नहीं है। सीमा के चाचा भी पाकिस्तानी सेना में अधिकारी हैं। सीमा के चाचा गुलाम अकबर भी पाकिस्तानी सेना की सर्विस में हैं। सीमा के चाचा गुलाम अकबर पाकिस्तानी सेना में सूबेदार के ओहदे पर हैं। एटीएस सीमा के साथ साथ सीमा के पति सचिन और उसके ससुर और दो बेटों को भी अपनी हिरासत में लिए हुए हैं। 

सीमा हैदर चार बच्चों की मां या ISI का मोहरा, ATS को मिले IB से अहम सुराग

पुलिस जानना चाहती है कि क्या सचिन, मीना और उसके पिता को सीमा के पाकिस्तानी सेना के कनेक्शन की जानकारी थी? क्या वह पुलिस से कोई बात छिपा तो नहीं रहे हैं? सीमा हैदर एटीएस के सवालों के जाल में फंसते दिखाई दे रही है। यूपी एटीएस को पता चला है कि सीमा हैदर ने पाकिस्तान छोड़ने से सिर्फ दो दिन पहले ही अपना नया पासपोर्ट बनवाया था, जबकि उसके पास पहले से ही एक पासपोर्ट मौजूद था, लेकिन उसके बावजूद उसने नया पासपोर्ट बनवाया था। एटीएस की जांच के मुताबिक 8 मई को सीमा का पाकिस्तानी पासपोर्ट जारी हुआ था और 10 मई को उसने पाकिस्तान छोड़ दिया। सीमा ने अपना पासपोर्ट जो है वह आठ तारीख का बताया था कि आठ तारीख को उसका पासपोर्ट जारी हुआ था पाकिस्तान से लेकिन उसने इस बात को छुपाया था कि 10 तारीख को ही उसने पाकिस्तान छोड़ दिया था।


पहले से पासपोर्ट होने के बावजूद नया पासपोर्ट जारी होना और दो दिन के अंदर मुल्क छोड़ देना कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है। यूपी एटीएस को सीमा हैदर से जुड़ी एक और अहम जानकारी हाथ लगी है। पाकिस्तान छोड़ने से दो दिन पहले सीमा को नया पासपोर्ट मिल गया था। यही नहीं पाकिस्तान छोड़ने से ठीक दो दिन पहले सीमा ने एक नया मोबाइल फोन भी खरीदा था। यानी जिस दिन सीमा को नया पाकिस्तानी पासपोर्ट मिला, उसी दिन सीमा ने पाकिस्तान से नया मोबाइल फोन भी खरीदा था। कुछ मोबाइल फोन की कीमत 70,000 पाकिस्तानी रुपये थी। एटीएस को सीमा के पास से 8 मई को खरीदे गए मोबाइल फोन का बिल भी मिला है।


एटीएस के हाथ यह भी जानकारी लगी है कि 8 मई को ही उसने एक फोन खरीदा ₹70,000 का, जो पाकिस्तान से खरीदा गया था और इसका बिल अभी जो है पाकिस्तान का ही है। 8 मई को ही पाकिस्तानी पासपोर्ट जारी होना। 8 मई को ही मोबाइल फोन खरीदना। पहले से ही पासपोर्ट होने के बावजूद दूसरा पासपोर्ट बनवाना। पहले से ही मोबाइल फोन होने के बावजूद नया फोन खरीदना सीमा की कहानी पर शक के दायरे को और बढ़ाता है। यूपी एटीएस ने सीमा हैदर से इस तरह से सवाल पूछे ताकि पता चल सके कि क्या वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से किसी भी तरह से जुड़ी हुई है। एटीएस ने सीमा से पूछा कि क्या तुम्हें किसी ने मोबाइल फोन मैसेजिंग और इंटरनेट पर चैटिंग में सावधानी बरतने के लिए कहा था? क्या तुम बातचीत के लिए कोई कोडवर्ड भी इस्तेमाल करती थी? पूछताछ में एटीएस ने यह भी पूछा कि क्या कभी फूफी और फल जैसे कोडवर्ड का इस्तेमाल किया? दरअसल, फूफी उस शख्स को कहा जाता है जो देश से जुड़ी जानकारियां आईएसआई तक भेजने का काम करता है। फल कोडवर्ड का इस्तेमाल रुपयों के लिए किया जाता है। 

सीमा हैदर तजा खबर 



यूपी एटीएस ने यह भी पूछा कि तुम्हें हिंदू रीति रिवाजों के बारे में कैसे पता चला और तुम इतनी शुद्ध हिंदी आखिर कैसे बोल लेती हो? यूपी एटीएस को सीमा हैदर पर शक इसलिए भी है क्योंकि सीमा हैदर ने खुद को पाकिस्तान की रहने वाली एक गरीब लड़की बताया था, जबकि उसके पास महंगे मोबाइल फोन खरीदने के लिए पैसे थे। सीमा ने जो मोबाइल खरीदा था, उसकी कीमत भारतीय करेंसी में ₹20,000 से ज्यादा है। दूसरा शक एटीएस को इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान में लगभग हर शख्स उर्दू बोलता है। हिंदी का पाकिस्तान में दूर दूर तक नाता नहीं है, लेकिन सीमा हैदर की भाषा में कहीं भी उर्दू नहीं झलकती। उसके शब्दों में कहीं भी उर्दू के लफ्जों का इस्तेमाल नहीं होता। एटीएस के मन में यह सवाल पैदा हो रहा है कि ऐसा कैसे मुमकिन है कि महज चंद महीनों में सालों तक पाकिस्तान में रही एक गरीब लड़की की भाषा पूरी तरह से बदल जाए। क्योंकि सीमा हैदर हिंदी के ऐसे मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल करती है, जिन्हें बिना पढ़े लिखे जानना मुश्किल है। 


सीमा हैदर पाकिस्तान की जासूस है या सचिन की मोहब्बत में दीवानी? एक सामान्य महिला इस तरह के सवालों के जवाब तलाश। देखिए सीमा  हैदर का एक और झूठ साफ पकड़ा गया और सीमा के उस झूठ की पोल खुली। एक एफिडेविट यानी हलफनामे से यूपी एटीएस को सीमा हैदर और उसके पति गुलाम हैदर की शादी का एक हलफनामा मिला है। इसी हलफनामे ने सीमा के झूठ को खोलकर रख दिया है। हलफनामे में लिखी बातों से पता चलता है कि सीमा ने भागकर गुलाम हैदर से शादी की थी। हलफनामे में सीमा ने बताया कि उसके मां बाप लालची हैं और एक आवारा लड़के से उसकी शादी करना चाहते थे। इसीलिए उसने घर से भाग कर गुलाम हैदर से शादी कर ली और वह उसे खुश रखेगा। जबकि हलफनामे से उलट सीमा ने जी न्यूज से बातचीत में कहा था कि उसकी गुलाम हैदर से जबरदस्ती शादी कराई गई थी।

सीमा हैदर कौन थी?


पंजीकरण विधि को धूमधाम से ने कोर्ट के कुछ कागजों में साइन करवाया गया था मुझसे, क्योंकि कहीं मैं किसी को पसंद करती थी। गांव में तो पसंद करना क्राइम माना जाता था, इसलिए इनसे से शादी हो गई। सिंपल सी कि उसके पति के साथ उनकी लव मैरिज हुई थी। लव मैरिज था। इसलिए गुंजा के ध्यान में नहीं रहा होगा। शहर में दोबारा लेटर दिया। सवाल उठता है कि अगर हलफनामा सच है तो सीमा हैदर ने अपनी शादी की झूठी कहानी क्यों बताई? चलिए अब आपको बताते हैं कि बंद कमरे में यूपी एटीएस की टीम ने सीमा से क्या सवाल किए और उन सवालों की सीमा ने किस तरीके से जवाब दिया। सूत्रों के मुताबिक सबसे पहले सीमा के पासपोर्ट को लेकर सवाल किया गया और यूपी एटीएस के एसपी रैंक के अधिकारी ने सीमा हैदर के सामने उसके दो पासपोर्ट रख दिए और पूछा कि इन दो पासपोर्ट में से असली कौन सा है। जवाब में सीमा हैदर ने कहा कि मैं पिछले 10 दिनों से बता रही हूं कि पिछले पासपोर्ट में सिर्फ सीमा लिखा था, जिसके चलते दिक्कत आ रही थी। 


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इसीलिए दूसरा पासपोर्ट सीमा गुलाम हैदर के नाम से बनवाया गया था। तुम्हारे भाई और चाचा जो पाकिस्तानी आर्मी में हैं, क्या उन्होंने तुम्हें यहां भेजा है या फिर आईएसआई ने तुम्हें भारत आने के लिए कहा था? जवाब में सीमा ने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि उसने आईएसआई का कभी नाम भी नहीं सुना। मैं अपने भाई और चाचा से सालों से नहीं मिली हूं और यह आईएसआई क्या होता है, यह मुझे पिछले कुछ दिनों से भारत में आने पर पता चला, जब टीवी चैनलों ने मुझे आईएसआई का एजेंट बताया। मैं सिर्फ सचिन के लिए ही नेपाल के रास्ते भारत आई हूं। लेकिन एटीएस अधिकारियों को सीमा हैदर के जवाब पर यकीन नहीं हुआ। ऐसा कैसे हो सकता है कि ता उम्र पाकिस्तान में रहने वाली सीमा ने खुफिया एजेंसी आईएसआई का नाम तक नहीं सुना है। इसीलिए एटीएस के अधिकारी ने सीमा हैदर से काउंटर सवाल दागा। उन्होंने पूछा, ऐसा कैसे हो सकता है कि तुमने ISI  का नाम ही नहीं सुना है? वह भी तब जब तुम्हारे घरवाले पाकिस्तान की फौज में हैं। तुम कराची में रहती थी। 

तुम खुद स्मार्टफोन चलाती हो, ताकि जैसे गेम खेलती हो तब आईएसआई के बारे में कैसे नहीं जानती हो? इस सवाल पर सीमा हैदर ने सफाई दी। उसने कहा, आधी लाइफ बच्चे पैदा करने और पालने में बीत गई और पिछले साल से मैं सिर्फ समय काटने के लिए पबजी गेम खेलती थी। ऐसे में आईएसआई जैसे वर्ड सुनने का टाइम ही नहीं मिला। सीमा के उस जवाब में से ही एटीएस अधिकारी ने अगला सवाल निकाला। सीमा ने अंग्रेजी शब्द वर्ड का इस्तेमाल किया था। इसीलिए एटीएस अधिकारी ने पूछा, वर्ड सुनने का टाइम मिला? इंग्लिश तुम्हारी बहुत अच्छी है। कहां और कब सीखी? तुम तो सिर्फ पांचवीं तक पढ़ी हो। सीमा ने तपाक से जवाब दिया। उसने कहा, मैंने जो भी सीखा वह दो हज़ार 19 के बाद ही सीखा। जबसे पबजी खेलना शुरू किया था, इसे पढ़े लिखे लड़कों के साथ खेलती थी। उनसे बातों बातों में हिंदी सीख ली। इसके बाद यूपी एटीएस के एक अधिकारी ने एक खाली कागज के ऊपर हाथ से इंग्लिश में कुछ लाइन्स लिखी। 


इंग्लिश की उन लाइन्स को एटीएस अधिकारी ने सीमा से पढ़ने के लिए कहा, जिसे उसने तुरंत पढ़ लिया। सीमा ने हर लाइन साफ साफ पढ़ डाली। इस पर एटीएस अधिकारी ने सीमा से पूछा, तुम अपनी भाषा जो उर्दू, अरबी, सिंधी हो सकती है, वह तो नहीं, लेकिन हिंदी और अंग्रेजी बड़े अच्छे तरीके से बोल रही हो। इसकी किसी ट्रेनिंग दी तो क्या तुमसे यह कहा गया था कि वहां शुद्ध हिंदी में बात करना है ताकि भारत के लोगों से जल्द घुल मिल जाओ। हमने सुना है कि तुम शरण, अनर्थ जैसे शब्द बिल्कुल शुद्ध तरीके से बोलती हूं। सीमा हैदर ने जवाब दिया, मुझे किसी ने नहीं सिखाया है। कई बार मैं कह चुकी हूं कि सिर्फ अपनी मोहब्बत के लिए यहां आई हूं। न किसी तरह की मुझे ट्रेनिंग दी गई है, न ही मुझे किसी ने भेजा है। सचिन से बात करते करते मैंने हिंदी सीख ली है। एटीएस अधिकारी ने फिर पूछा, सचिन मीणा खुद ही हिंदी ठीक से नहीं बोलता है। उसकी भाषा में पश्चिम यूपी का टच है। बल्कि तुम ऐसे बोल रही हो जैसे कोई प्रशिक्षित हिंदी का ज्ञानी बोल रहा हो। सीनियर।

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